Monday, June 30, 2014

नज़रों से गिरते हुए...

उन्हें लगता है उनकी चालाकियां हमें समझ
नहीं आती....
हम बड़े आराम से देखते हैं उन्हें अपनी नज़रों से गिरते हुए...

इश्क को तुम्हारा पता

एक तुम भी ना कितनी जल्दी सो जाते हो...
लगता है इश्क को तुम्हारा पता देना पड़ेगा!!!

हिचकियाँ

आज जा कर के उसने, सच में भुलाया है मुझे

वरना ये हिचकियाँ ,पानी से तो नहीं जाती थीं !!

Wednesday, June 25, 2014

वो ज़हर कहाँ

साँपों के मुकद्दर में, वो ज़हर कहाँ ।
जो इंसान आजकल सिर्फ ,बातों में ही उगल
देता है ।

Tuesday, June 24, 2014

हमने मुहब्बत की है

वो अल्फ़ाज़ ही क्या,
जो समझानें पडे
हमने मुहब्बत की है,
कोई वकालत नहीं ….!!

हिसाब  जख़मो  का...!!!!!

हमने  उतार  दिए  अब  सारे क़र्ज़  तेरी  मुहब्बत  के...
अब हिसाब  होगा  तो  सिर्फ  तेरे दिए  हुए  जख़मो  का...!!!!!

चाहत मारेगी...!!

हाथ की लकीरें पढने वाले ने तो, मेरे होश ही उड़ा दिये..!
मेरा हाथ देख कर बोला...
"तुझे मौत नहीं किसी की चाहत मारेगी...!!

Friday, June 20, 2014

भीड़ क्यों है

'हर एक इंसान हवा में उड़ता फिरता है,
फिर ना जाने जमीन पर इतनी भीड़ क्यों है.

कल फिर

लो गुज़र गया यह दिन भी,
अपनी तमाम रौनके ले कर...

...गर ज़िन्दगी ने वफ़ा की;
तो कल फिर सिलसिले होंगे!

रग रग से वाकिफ

दिल से बाहर निकलने का रास्ता तक ना ढूंढ सकी वो,

दावा करती थी जो मेरी रग रग से वाकिफ होने का...l

Thursday, June 19, 2014

पेशे से मुज़रिम नहीं

उससे कह दो कि मेरी सज़ा कुछ कम कर दे,

हम पेशे से मुज़रिम नहीं हैं बस गलती से इश्क हुआ था

वादों से मुकर जाना

सिखा दो मुझे भी वादों से मुकर जाना,

बहुत थक गया हु निभाते - निभाते

सीने से लग कर

शहर जालिमों का है संभल कर चलना,

लोग सीने से लग कर दिल ही निकाल लेते हैं !!

गमों का इलाज

तुझे याद कर लूं तो मिल जाता है सुकून दिल को,

मेरे गमों का इलाज भी कितना सस्ता है !

समझौता

संघर्षो में यदि कटता है तो कट जाए सारा जीवन..!!

कदम-कदम पर समझौता मेरे बस की बात नहीं....!!!!

जब हंस कर उठते थे

एक सवेरा था जब हँस कर उठते थे हम
और आज कई बार बिना मुस्कुराये ही शाम हो जाती है..

शौक

शौक तो माँ-बाप के पैसो से पूरे होते हैं,
अपने पैसो से तो बस ज़रूरतें ही पूरी हो पाती हैं..

मेरे अंदाज़

जल जाते हैं मेरे अंदाज़ से मेरे दुश्मन क्यूंकि 
एक मुद्दत से मैंने न मोहब्बत बदली और न दोस्त बदले .!!.

थोड़े से कामयाब हो जाओ

दुश्मन बनाने के लिए जरुरी नहीं के युद्ध ही लड़ा जाए ,

थोड़े से कामयाब हो जाओ वो खैरात में मिलेंगे !!

दुआ मांगी

मैंने खुदा से एक दुआ मांगी, दुआ में अपनी मौत मांगी,
खुदा ने कहा, मौत तो तुझे दे दूँ,  पर उसका क्या,
जिसने हर दुआ में तेरी ज़िन्दगी मांगी..

मेरे दर्द

ना कर तू कोशिशें मेरे दर्द को समझने की,
तू पहले इश्क कर,फिर चोट खाफिर लिख दवा मेरे दर्द की l

कुछ तो बदला है

कुछ तो बदला है ज़माने की रुसवाइयों ने।
मै लिखता कुछ और हूँ वो समझते कुछ और है।।

सोच कर तो साजिश की जाती हैं

वो कहते हैं सोच लेना था मुहब्बत करने से पहले।

अब उनको कौन समझाए सोच कर तो साजिश की जाती हैं मुहब्बत नहीं। 

न छोड़ो वफ़ा का दामन

ज़रा सी रंजिश पे न छोड़ो वफ़ा का दामन


उमरें बीत जाती हैं दिल का रिश्ता बनने में ..

'शौक' बदलता हूँ मोहब्बत" नही

मै "वक्त" और "हालात" के साथ 'शौकबदलता हूँ...!!!
"दोस्त" और "मोहब्बत" नही....

कोई चाल तो चल

तू मोहब्बत से..... कोई चाल तो चल,

हार जाने का .....हौसला है ....मुझमें

दर्द बताये तो शायर

दुनिया वाले भी बड़े अजीब है
कभी हमसे दूर तो कभी करीब है

दर्द ना बताये तो कायर कहते है
और दर्द बताये तो शायर कहते है...

सलीका इश्क़ का

माना कि मुझे सलीका नहीं इश्क़ का,
तूने भी तो हर बार इशारे नहीं समझे...!!

'मशरूफ़ रहने का अंदाज़

'मशरूफ़ रहने का अंदाज़ तुझे तन्हा ना कर दे ...


रिश्तें फुर्सत के नही तवज्जो के मोहताज़ होते है'

तेरी मुहब्बत

तेरी मुहब्बत भी किराये के घर की तरह थी...

कितना भी सजाया पर मेरी नहीं हुई...

बेवजाह मिलना..

कभी मिल सको तो बेवजाह मिलना.. 
जह से मिलने वाले तो ना जाने हर रोज़ कितने मिलते है..

उम्र की पूँजी

लौटने में कम पड़ेगी उम्र की पूँजी हमें,

आप तक आने ही में हमको ज़माने लग गए..

दूरियां

माना की दूरियां कुछ बढ़ सी गयीं हैं लेकिन

तेरे हिस्से का वक़्त आज भी तनहा गुजरता है...

दौलत

दो चार लोगों से अच्छे रिश्ते बनाये रखिये...!!

कब्र तक लाश को दौलत नहीं ले जाया करती ..!!

कभी ख्वाहिश नहीं होती

भरे बाज़ार से अक्सर मैं खाली हाथ आता हूँ,

कभी ख्वाहिश नहीं होती कभी पैसे नहीं होते..!!

आजाद परिंदे

आजाद कर दिया हमने उस परिंदे को ऐ दोस्तों,


जो हमारी दिल की कैद मे रहने को अपनी तौहीन समझता था....

हम 'दिल' में आते हैं

बस 'जान' जाओ मुझेयही 'पहचान' है मेरी...

हम 'दिल' में आते हैं, 'समझ' में नहीं..

माचिस

माचिस की ज़रूरत यहाँ नहीं पड़ती...
यहाँ आदमी आदमी से जलता है...!!

गुलाब

मेरी महोब्बत की बस इतनी कहानी है,
एक टूटी हुई कश्ती और सूखा हुआ पानी है,
एक गुलाब उनकी किताब में दम तोड़ चुका,

और उनको याद ही नहीं कि यह किसकी निशानी है।