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ग़म तो जनाब फ़ुरसत का शौक़ है,
ख़ुशी में वक्त ही कहाँ मिलता है।
टूटे तो, बड़े चुभते है; क्या काँच,क्या रिश्ते...!!!!
वो पैरवी तो झूठ की करता चला गया, लेकिन उसका चेहरा उतरता चला गया।
- वसीम बरेलवी