Friday, October 7, 2016

आशियाने

बनें भी तो कहाँ जनाब...

जमीनें महँगी हो चली हैं और दिल में लोग जगह नहीं देते..!!

Saturday, October 1, 2016

मीठी सी ठंडक

कुछ मीठी सी ठंडक है आज इन हवाओं में..
शायद...
तेरी यादों से भरा दराज़ खुला रह गया है..!