Tuesday, October 28, 2014

मिजाज मेरे इयरफोन सा..

हर बार सुलझा कर रखता हूँ
फिर भी उलझी हुई मिलती है
ऐ जिंदगी तू ही बता जरा
तेरा मिजाज मेरे इयरफोन सा क्यूँ है..

Wednesday, October 22, 2014

सुकून-ए-ज़िंदगी

सबने ख़रीदा सोना
मैने इक सुई खरीद ली
सपनो को बुनने जितनी
डोरी ख़रीद ली
शौक-ए-ज़िन्दगी
कुछ कम किये
फ़िर सस्ते में ही
सुकून-ए-ज़िंदगी खरीद ली

Saturday, October 18, 2014

हसरत निकल जाए

अब दिल की तमन्ना है काश ऐसा ही हो...

आंसुओं  की जगह आँख से हसरत निकल जाए!!

Friday, October 17, 2014

हिचकियाँ भी आई या नहीं

कल रात भर जलते रहे हम दिए की लौ जैसे,
खुदा जाने उन्हें हिचकियाँ भी आई या नहीं

Wednesday, October 15, 2014

साफ़ सुथरी ज़िन्दगी

फिर से मुझे मिट्टी में खेलने दे ऐ जिन्दगी,
ये साफ़ सुथरी ज़िन्दगी, उस मिट्टी से ज्यादा गन्दी है

Saturday, October 11, 2014

चाल चलना

हम आज भी शतरंज का खेल अकेले खेलते है...

क्यूंकि "दोस्तों" के खिलाफ चाल चलना हमे नहीं आता.!

यादें हरी हैं

अतीत के पन्ने पलटकर देखता हूँ तो यक़ीन नहीं कर पाता..
स्याही का रंग उड़ चुका है, कागज़ पीला है और यादें हरी हैं..

Friday, October 10, 2014

यादों की कोई सरहद

तेरी यादों की कोई सरहद होती तो अच्छा होता;
खबर तो होती कि सफ़र कितना तय करना है।

Thursday, October 9, 2014

सादगी से तो बर्बाद

तेरी हालत से लगता हैं तेरा अपना था कोई...
वरना इतनी सादगी से तो बर्बाद कोई गैर करता नहीं.....

कितने झूठे हो गये है हम,
बचपन में अपनों से भी रोज रुठते थे,
आज दुश्मनों से भी मुस्करा के मिलते है!

समझदार हो गया...

टुकड़े पड़े थे राह  पे किसी हसीना के तस्वीर के...
लगता हे कोई दीवाना आज फिर से समझदार हो गया...