हमारी ख्वाहिशें ही हमारा सुकून निगल गई,
और शिकायत हम किस्मत से कर रहे है।
Quotes collection from everywhere, inform me of the author, I will give due credit
Saturday, October 28, 2017
Tuesday, October 24, 2017
उम्र की ऐसी की तैसी..!
घर चाहे कैसा भी हो..
उसके एक कोने में..
खुलकर हंसने की जगह रखना..
सूरज कितना भी दूर हो..
उसको घर आने का रास्ता देना..
कभी कभी छत पर चढ़कर..
तारे अवश्य गिनना..
हो सके तो हाथ बढ़ा कर..
चाँद को छूने की कोशिश करना.
अगर हो लोगों से मिलना जुलना..
तो घर के पास पड़ोस ज़रूर रखना..
भीगने देना बारिश में..
उछल कूद भी करने देना..
हो सके तो
एक कागज़ की किश्ती चलाने देना..
कभी हो फुरसत, आसमान भी साफ हो..
तो एक पतंग आसमान में चढ़ाना..
हो सके तो एक छोटा सा पेंच भी लड़ाना..
घर के सामने रखना एक पेड़..
उस पर बैठे पक्षियों की बातें अवश्य सुनना..
घर चाहे कैसा भी हो..
घर के एक कोने में..
खुलकर हँसने की जगह रखना.
चाहे जिधर से गुज़रिये
मीठी सी हलचल मचा दिजिये,
उम्र का हरेक दौर मज़ेदार है
अपनी उम्र का मज़ा लिजिये.
ज़िंदा दिल रहिए जनाब,
ये चेहरे पे उदासी कैसी
वक्त तो बीत ही रहा है,
उम्र की ऐसी की तैसी..!