Saturday, March 31, 2018

यूँ ही आँखें

कभी कभी तो छलक पड़ती है यूँ ही आँखें ..
उदास होने का कोई सबब नहीं होता...
-बशीर बद्र

Wednesday, March 28, 2018

ख़्वाहिशें

उम्र बिना रुके सफर कर रही है,
और हम ख़्वाहिशें लेकर वहीं खड़े हैं ।

Monday, March 26, 2018

मंज़िल

मंज़िल समझ बैठ गये जिनको चन्द लोग..
मैं ऐसे रास्तों से गुज़रता चला गया..
-वसीम बरेलवी