Monday, November 30, 2015

जख्म

मेरी जख्मों पर उसने भी मरहम लगाया, ये कहकर....
जल्दी से ठीक हो जा,और भी जख्म देना बाकि है...

Wednesday, November 18, 2015

मुहब्बत

मुहब्बत रूह में उतरा हुआ मौसम है जनाब..
ताल्लुक कम कर देने से कम नही
होती..

झुकना

तुम झुकना सीखो हमेशा आँसमां बन के

ये जान लो कि

ज़मीन को उठने की आदत नही होती..

लफ्ज़

लफ्ज़ जब बरसते हैं बन कर बूँदें,
मौसम कोई भी हो मन भीग ही जाता है....

अदालत ईश्क

अदालत ईश्क की होगी, मुकदमा मोहब्बत पे चलेगा, गवाही मेरा दिल देगा और मुजरिम तेरा प्यार होगा..!!

मुहब्बत

मुहब्बत रूह में उतरा हुआ मौसम है जनाब..
ताल्लुक कम कर देने से कम नही
होती..

Monday, November 9, 2015

जिंदगी...

हल्की-फुल्की सी है जिंदगी...

बोझ तो ख्वाहिशों का है..!!

पत्थर

इस अजनबी शहर में
पत्थर कहाँ से आ लगा
गैरों की भीड़ में
कोई अपना जरूर है..