अजीब खेल है ये मोहब्बत का,
किसी को हम न मिले, कोई हमें ना मिला...!
Quotes collection from everywhere, inform me of the author, I will give due credit
Saturday, August 29, 2015
Thursday, August 27, 2015
अजीब दस्तूर
अजीब दस्तूर है ज़माने का..
अच्छी यादें पेनड्राइव में
और...
बुरी यादें दिल में रखते हैं...।।
अच्छी यादें पेनड्राइव में
और...
बुरी यादें दिल में रखते हैं...।।
विभिन्न कवियों से अगर इस पर लिखने को कहा जाता तो वो कैसे लिखते
प्रसंग है एक नवयुवती छज्जे पर बैठी है, वह उदास है, उसकी मुख मुद्रा देखकर लग रहा है कि जैसे वह छत से कूदकर आत्महत्या करने वाली है।
💐
विभिन्न कवियों से अगर इस पर लिखने को कहा जाता तो वो कैसे लिखते
🌷मैथिली शरण गुप्त 🌷
अट्टालिका पर एक रमिणी अनमनी सी है अहो
किस वेदना के भार से संतप्त हो देवी कहो?
धीरज धरो संसार में, किसके नही है दुर्दिन फिरे
हे राम! रक्षा कीजिए, अबला न भूतल पर गिरे।
🌷काका हाथरसी🌷
गोरी बैठी छत पर, कूदन को तैयार
नीचे पक्का फर्श है, भली करे करतार
भली करे करतार,न दे दे कोई धक्का
ऊपर मोटी नार, नीचे पतरे कक्का
कह काका कविराय, अरी मत आगे बढना
उधर कूदना मेरे ऊपर मत गिर पडना।
🌷श्याम नारायण पांडे 🌷
ओ घमंड मंडिनी, अखंड खंड मंडिनी
वीरता विमंडिनी, प्रचंड चंड चंडिनी
सिंहनी की ठान से, आन बान शान से
मान से, गुमान से, तुम गिरो मकान से
तुम डगर डगर गिरो, तुम नगर नगर गिरो
तुम गिरो अगर गिरो, शत्रु पर मगर गिरो।
🌷गोपाल दास नीरज🌷
हो न उदास रूपसी, तू मुस्काती जा
मौत में भी जिन्दगी के कुछ फूल खिलाती जा
जाना तो हर एक को है, एक दिन जहान से
जाते जाते मेरा, एक गीत गुनगुनाती जा..!
💐💐💐💐💐
Three more ...... 👇
सुमित्रा नंदन पन्त
स्वर्ण-सौंध के रजत शिखर पर,
चिर नूतन, चिर सुन्दर प्रतिपल,
उन्मन उन्मन, अपलक नीरव,
शशि-मुख पर कोमल कुंतल-पथ,
कसमस-कसमस चिर यौवन घात,
पल पल प्रतिपल,
चल चल करती निर्मल दृग जल,
ज्यों निर्झर के दो नीलकमल,
यह रूप चपल ज्यों धुप धवल,
अतिमौन कौन,
रूपसी बोलो,
प्रिये बोलो ना.
गोपाल प्रसाद व्यास
छत पर उदास क्यूँ बैठी है,
तू मेरे पास चली आ री,
जीवन का सुख-दुःख कट जाए,
कुछ मैं गाऊं, कुछ तू गा री,
तू जहाँ कहीं भी जाएगी,
जीवन भर कष्ट उठाएगी,
यारों के साथ रहेगी तो,
मथुरा के पेड़े खाएगी.
रामधारी सिंह दिनकर
दग्ध ह्रदय में धधक रही,
उत्पात प्रेम की ज्वाला,
हिमगिरी के उत्स निचोड़,
फोड़ पाताल, बनो विकराला,
ले ध्वन्सो के निर्माण त्रान से,
गोद भरो पृथ्वी की,
छत पर से मत गिरो,
गिरो अम्बर से वज्र सरीखी.
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विभिन्न कवियों से अगर इस पर लिखने को कहा जाता तो वो कैसे लिखते
🌷मैथिली शरण गुप्त 🌷
अट्टालिका पर एक रमिणी अनमनी सी है अहो
किस वेदना के भार से संतप्त हो देवी कहो?
धीरज धरो संसार में, किसके नही है दुर्दिन फिरे
हे राम! रक्षा कीजिए, अबला न भूतल पर गिरे।
🌷काका हाथरसी🌷
गोरी बैठी छत पर, कूदन को तैयार
नीचे पक्का फर्श है, भली करे करतार
भली करे करतार,न दे दे कोई धक्का
ऊपर मोटी नार, नीचे पतरे कक्का
कह काका कविराय, अरी मत आगे बढना
उधर कूदना मेरे ऊपर मत गिर पडना।
🌷श्याम नारायण पांडे 🌷
ओ घमंड मंडिनी, अखंड खंड मंडिनी
वीरता विमंडिनी, प्रचंड चंड चंडिनी
सिंहनी की ठान से, आन बान शान से
मान से, गुमान से, तुम गिरो मकान से
तुम डगर डगर गिरो, तुम नगर नगर गिरो
तुम गिरो अगर गिरो, शत्रु पर मगर गिरो।
🌷गोपाल दास नीरज🌷
हो न उदास रूपसी, तू मुस्काती जा
मौत में भी जिन्दगी के कुछ फूल खिलाती जा
जाना तो हर एक को है, एक दिन जहान से
जाते जाते मेरा, एक गीत गुनगुनाती जा..!
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Three more ...... 👇
सुमित्रा नंदन पन्त
स्वर्ण-सौंध के रजत शिखर पर,
चिर नूतन, चिर सुन्दर प्रतिपल,
उन्मन उन्मन, अपलक नीरव,
शशि-मुख पर कोमल कुंतल-पथ,
कसमस-कसमस चिर यौवन घात,
पल पल प्रतिपल,
चल चल करती निर्मल दृग जल,
ज्यों निर्झर के दो नीलकमल,
यह रूप चपल ज्यों धुप धवल,
अतिमौन कौन,
रूपसी बोलो,
प्रिये बोलो ना.
गोपाल प्रसाद व्यास
छत पर उदास क्यूँ बैठी है,
तू मेरे पास चली आ री,
जीवन का सुख-दुःख कट जाए,
कुछ मैं गाऊं, कुछ तू गा री,
तू जहाँ कहीं भी जाएगी,
जीवन भर कष्ट उठाएगी,
यारों के साथ रहेगी तो,
मथुरा के पेड़े खाएगी.
रामधारी सिंह दिनकर
दग्ध ह्रदय में धधक रही,
उत्पात प्रेम की ज्वाला,
हिमगिरी के उत्स निचोड़,
फोड़ पाताल, बनो विकराला,
ले ध्वन्सो के निर्माण त्रान से,
गोद भरो पृथ्वी की,
छत पर से मत गिरो,
गिरो अम्बर से वज्र सरीखी.
Wednesday, August 26, 2015
कहानी मोहब्बत की
बस इतनी सी ही कहानी थी मेरी मोहब्बतकी,
मौसम की तरह तुम बदल गए, फसल की तरह मैं बरबाद हो गया....!
मौसम की तरह तुम बदल गए, फसल की तरह मैं बरबाद हो गया....!
Monday, August 24, 2015
हुनर पे नाज़
बड़ी बारीकी से तोडा है, उसने दिल का हर कोना...!!
सच कहुँ तो मुझे, उस के हुनर पे नाज़ होता है....!!
बेवज़ह छोड़ जाना
आओ फिर से दोहराएं अपनी कहानी,
मैं तुम्हे बेपनाह चाहूँगा और तुम मुझे बेवज़ह छोड़ जाना ।।
Sunday, August 23, 2015
दुश्मनी अँधेरे से
दोस्त "मैं दीपक हूँ,
दुश्मनी तो सिर्फ़ अँधेरे से है मेरी,
हवा तो बेवजह ही मेरे खिलाफ़ है....
दुश्मनी तो सिर्फ़ अँधेरे से है मेरी,
हवा तो बेवजह ही मेरे खिलाफ़ है....
Friday, August 21, 2015
अजीब तमाशा
अजीब तमाशा है मिट्टी के बने लोगों का यारो,
बेवफ़ाई करो तो रोते है और वफ़ा करो तो रुलाते है
बेवफ़ाई करो तो रोते है और वफ़ा करो तो रुलाते है
Thursday, August 20, 2015
Wednesday, August 19, 2015
रूह में समा जाने का हुनर
मेरी नज़र ने उसे सिर्फ़ दिल तक आने की इजाज़त दी थी..
मेरी रूह में समा जाने का हुनर उसका अपना था...
मेरी रूह में समा जाने का हुनर उसका अपना था...
दर्द की शिद्दत
ज़ख़्म दे कर ना पूछा करो, दर्द की शिद्दत,
दर्द तो दर्द होता हैं, थोड़ा क्या, ज्यादा क्या !!
दर्द तो दर्द होता हैं, थोड़ा क्या, ज्यादा क्या !!
Tuesday, August 18, 2015
Monday, August 17, 2015
Wednesday, August 12, 2015
Tuesday, August 11, 2015
मौसम की तरह तुम बदल गए
बस इतनी सी ही कहानी थी मेरी मोहब्बत की,
मौसम की तरह तुम बदल गए...
फसल की तरह मैं बरबाद हो गया!!
मौसम की तरह तुम बदल गए...
फसल की तरह मैं बरबाद हो गया!!
Monday, August 10, 2015
तलब मौत की..
तलब मौत की करना गुनाह है...ज़माने में यारो…
मरने का शौक है तो मुहब्बत क्यों नहीं करते...!
Saturday, August 8, 2015
रेत की तरह निकल जाते है
ना जाने क्यों रेत की तरह निकल जाते है हाथों से वो लोग ,
जिन्हें ज़िन्दगी समझ कर हम कभी खोना नहीं चाहते..
Friday, August 7, 2015
फिर से लिखने का..
बारिश में रख दो,
इस जिंदगी के पन्नों को.,
ताकि धुल जाए स्याही....,
ज़िन्दगी फिर से लिखने का,
मन करता है कभी- कभी.!!
शक है तुझ पर.
लेने दे मुझे तू अपने ख़्वाबों की थोडी तलाशी,
मेरी नींद चोरी हो गयी है, मुझे शक है तुझ पर...!
Sunday, August 2, 2015
इस्तेमाल किया
हर एक शख्स ने अपने अपने तरीके से इस्तेमाल किया हमें...!
और हम समझते रहे लोग हमें पसंद करते हैं...!!
और हम समझते रहे लोग हमें पसंद करते हैं...!!
Saturday, August 1, 2015
भटकने का चलन
खत्म हो गया अब उन गलियों में भटकने का चलन,
तेरे प्रोफाइल में घूम आता हूँ, जब तू याद आती है.......!
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