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किसी को घर से निकलते ही मिल गई मंज़िल .. कोई हमारी तरह उम्र भर सफ़र में रहा... --अहमद फ़राज़
इश्क़ तो मर्ज़ ही बुढ़ापे का है.... । जवानी में फुर्सत कहाँ आवारगी से...।।*
उस शख्स से बस इतना सा ताल्लुक़ है फ़राज़, वो परेशां हो तो हमें नींद नहीं आती!