Sunday, August 27, 2017

मंज़िल

किसी को घर से निकलते ही मिल गई मंज़िल ..
कोई हमारी तरह उम्र भर सफ़र में रहा...
--अहमद फ़राज़

इश्क़

इश्क़ तो मर्ज़ ही बुढ़ापे का है.... ।
जवानी में फुर्सत कहाँ आवारगी से...।।*

ताल्लुक़

उस शख्स से बस इतना सा ताल्लुक़ है फ़राज़,
वो परेशां हो तो हमें नींद नहीं आती!