Tuesday, September 28, 2010

दुनिया

 दुनिया के रस्म-ओ-रिवाजों में रचना मजबूरी थी मेरी...
और वो कह गये तुमने दीवारें ऊँची कर रखीं है बड़ी...!!
-जूली मुलानी  

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