Friday, December 23, 2011

कभी सोचता हूँ खुदा से क्या माँगू

कभी सोचता हूँ खुदा से क्या माँगू 
तेरे साथ गुज़ारा हर लम्हा ...माँगू 

जिन्दगी सँवरी थी जिन लम्हों से 
वो ही हसीं जिन्दगी की दुआ माँगू 

वो दर्द की दवा है दावा करता था 
तो दर्द माँगू फिर दर्द ए दवा माँगू 

सादादिली से मोहब्बत मयस्सर नहीं होती 
फन कोई और उसे मांगने का मांगू 

मोहब्बत खुदा है मैं सुनता आया हूँ 
क्यूँ न फिर खुदा तुम से खुदा मांगू 

-Unknown

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