Wednesday, June 13, 2012

रंजिशें ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ!! -मेहंदी हसन

रंजिशें ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ,
आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ!

किस किस को बताएँगे जुदाई का सबब हम,
तू मुझसे खफा है तो ज़माने के लिए आ!

कुछ तो मेरे पिंडर-ए-मोहब्बत का भरम रख,
तू भी तो कभी मुझको मनाने के लिए आ.

इक उम्र से हूँ लज़ते गिरियां से भी महरूम,
ए राहते जान मुझको रुलाने के लिए आ.

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