Sunday, July 22, 2012

गैरों की भीड़ में कोई अपना


इस शहर में पत्थर कहाँ से आके लगा मुझे "दोस्तों" . . .

लगता है इन गैरों की भीड़ में कोई अपना ज़रूर है !

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