Monday, June 1, 2015

दो मसले

बस यही दो मसले,
ज़िन्दगी भर ना हल हुए।
ना नींद पूरी हुई,
ना ख्वाब मुकम्मल हुए।

वक़्त ने कहा,
काश थोड़ा और सब्र होता।
सब्र ने कहा,
काश थोड़ा और वक़्त होता।

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