Wednesday, August 15, 2012

बहाना

जहन पर बोझ ये इंतज़ार का, उफ़ ! भला हम उठायें कब तक,

तू आना ना चाहे तो दिल रखने को मेरा, कोई बहाना तो लिख कर भेज 

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