Monday, May 9, 2016

गीले कागज़ सी ज़िन्दगी

गीले कागज़ सी हो गयी है ज़िन्दगी कोई लिखता भी नही, जलाता भी नहीं,
इस कदर हो गए है तन्हा कोई रूठता भी नही मनाता भी नही..

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