Friday, January 14, 2011

लब-ए-खामोशी

 
हम तो वोह हैं जो सन्नाटों के सीनों को भी चीरकर मारते हैं किलकारियां -
हम भी तो देखें कि लब-ए-खामोशी आखिर कबतक सिले रहेंगे।

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